सं.पु.
सं.
संकल्प, प्रतिज्ञा।
- उदा.--1..एती एक न आदरी, जेती अक्खी साह कमधज्जां नव कोट रां, औट लियौ व्रत चाह।--रा.रू.
- उदा.--2..जगनाथ का हेमराज राज काज पूरा, 'अजमाल' के व्रत काज सूरां तैं सूरा। अखैराज प्रोहित कौ हित मापै कूंण, 'दलपत' का द्रोणगुर जैसे जोर दूणां।--रा.रू.
- उदा.--3..'जैतौ' 'सूर' तणौ जत्राई, भुज तिण जो, 'समेळौ' भाई। 'पीथौ' 'मुकन' बिन्है व्रत पूरा, साथै दलरांमोत स नूरा।--रा.रू.
- उदा.--4..वारगना रही धारै व्रत, म्रत स्यांमावत तणै उमाह। पिड़ि खुरसांणै बींद परखियौ, बळि कुडांणै हुवा विमाह।--उदैभांण राठौड़ रौ गीत
2.नियम।
- उदा.--1..केइक पुण्यवंत प्रांणिया रे, चेत कियौ धरम सार। साधु स्रावक व्रत संग्रह्या, समकित सेंठी धार रे।--जयवांणी
- उदा.--2..बलता गुरु बोलिया तरै ए, तूं पहला व्योपारी की परै ए। तै बांका प्रस्न बातां कही ए, पिण जांणूं छूं व्रत लेसी सही ए।--जयवांणी
- उदा.--3..जोग जिग व्रत धरत नेम, अनंत महमा गरत पेम। सिर सहत निसदिन धोम सीत, मन पंच इंद्री दवन जीत।--अनुभववांणी
3.धर्म, कर्त्तव्य।
- उदा.--वडै वंस ऊपनी वडी रांणी भटियांणी, बोली राजा हूंत जिका पूरै व्रत जांणी। तौ पूठै वरजांग साख जैसांण सुभत्ती, पह चौरी परणतां चढै नह कौ चक्रवती।--रा.रू.
- उदा.--2..सुज कंत अंत अमरां सुपुरि, चौऔड़ी हरि ऊचरैं। छत्रपती सनेह 'चंदू' छडी, सेखावत व्रत संभरै।--रा.रू.
4.आराधना, भक्ति।
- उदा.--1..दिल मौ ग्यांन त्रकाळग्य दरसी, वीरचंद्र राजा इण वरसी। अवै सिव सीस चढासी आचां, सिव रीझसी देखि व्रत साचां।
- उदा.--चालौ चालौ चंपावाड़ी, सातूं मिळ सहैली है। नणंद म्हारी ईसर गौरजां रौ व्रत करस्यां, और रमसां खेलस्यां सारी।--रसीलै राज रा गीत
5.पुण्य प्राप्ति हेतु पुण्य तिथि को नियमपूर्वक किया जाने वाला उपवास।
6.अनुष्ठान करने की पद्धति, विधि।
7.अनुष्ठान करने की क्रिया या कार्य।
10.कुएं से मोट (चरस) निकालने का मोटा रस्सा।
11.अभूतरजस् देवों में से एक।
12.चाक्षुप मनु एवं नड्वला के पुत्रों में से एक।
13.देखो 'व्रत्त' (रू.भे.)
14.देखो 'व्रतांत' (रू.भे.)
- उदा.--'अजन' करायौ एक, डेरै व्रत जैसी। रूप सोभ तारीक, ओप मुर चोभ अनैसी।--रा.रू.
रू.भे.
बरत, ब्रत, ब्रत्त, वरत्त, विरत, व्रतु, व्रित।