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संकट  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.दुख, मुसीबत।
  • उदा.--करता मांचा दै जांचा कूतरिया, उतरत्ता आसाढां मूंढा ऊतरिया। सैंणां संकट में बंकट सब राया, घांटा घुटियोड़ा घूघट घबराया।--ऊ.का.
2.पीड़ा, तकलीफ, कष्ट।
  • उदा.--बिना कळदार बुद्धि नहिं बंसा, पुनि या बिन नहिं होत प्रसंसा। संकट हरण भहु बेसंसा, येह नर नारि जक्त अबतंसा।--ऊ.का.
3.बाधा, अड़चन, रोड़ा।
  • उदा.--रोम रोम आंमय रहै, पग पग संकट पूर। दुनियां सूं नजदीक दुख, दुनियां सूं सुखा दूर।--बां.दा.
4.आफत, विपत्ति, आपत्ति। क्रि.प्र.--करणौ, देणौ, पड़णौ, लागणौ, होणौ।
  • उदा.--1..'बांका' मेहासधू म बीसरै, संकट हरै सांभळै साद। गडवाड़ा गढ औलै गाजै, गढ रै औळै गढां भ्रजाद।--बां.दा.
  • उदा.--2..नरेस कहियौ पहली मऊ रौ फरमांणा आयौ जरै ही म्हैं तौ जांणि लीधौ अब साहरै म्हारा माथा सूं कांम पड़ियौ। अर इण संकट सूं भी बिसेस अब किसौ कांम रहियौ जिण री रीझ माथै बळा रौ देवौ तेवड़ियौ।--वं.भा.
5.रोग, बीमारी। (अ.मा.) क्रि.प्र.--लागणौ, होणौ।
5.चौसठ भैरवों में से एक।
6.धर्म एवं कुकुभ के पुत्रों में से एक।
रू.भे.
संगट, संगठ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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