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संजय  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.महाभारत के समय धृतराष्ट्र को युद्ध का वर्णन सुनाने वाला एक मंत्री।
2.सौवीर देशीय राजकुमार जिसने युद्ध से पलायन किया था किन्तु माता विदुला के भत्सर्ना एवं उत्तेजनायुक्त शब्दों से प्रभावित होकर वापिस युद्ध क्षेत्र में युद्धार्थ गया।
3.पुरुरवा के वंशज प्रति के पुत्र का नाम।
4.पुरुवंशीय भर्म्याश्व के पांचाल कहलाने वाले पुत्र।
5.एक सूर्यवंशी राजा।
  • उदा.--तिण सुत संजय रघुकुळ तारण, साक्य संजय सुत दुसह संधारण। संभ्रम साक्य सकाजा, राजै जै सुत सायक राजा।--सू.प्र.
6.ब्रह्मा का नाम।
7.शिव, महादेव।
8.विदेह देशाधिपति सुपार्श्र्व का पुत्र, एक राजा।
9.सिंधुनरेश वृद्धक्षत्र का पुत्र, जो अपने भाई जयद्रथ के द्वारा किये द्रौपदी हरण के समय अर्जुन द्वारा मारा गया था।
10.धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक।
11.एक व्यास का नाम। वि.--सुसज्जित तैयार।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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