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संबं, संबंध  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.सम्बन्ध
1.रिश्ता, नातातिकां रांणा री सभामैं जाइ समता रा संबंध रा सूचक पत्र दिया।--वं.भा.
  • उदा.--2..परंतु जैतो अबही सौं मीणां री चाल छोडि रजपूता री राह मैं रहण रौ लेख करि सूंपै तौ यौ संबंध करण मैं आवै।--वं.भा.
2.घनिष्ठ मित्रता, दोस्ती।
3.विवाह, ब्याह, शादी।
4.लगाव, सम्पर्क।
5.सगाई।
  • उदा.--1..रांणै समांन बय रा विबाह रौ नरम कीधौ सुणि कुमार चूंडै वडा प्रसभ रै प्रमांण पिता रौ संबंध करवाई आप चीतौड़ री गादी छोडण रौ लेख करि मारवाड़ां रै अधीन कीधौ। अर तिकी ही मांग पिता नूं परणाइ तटस्थ भाव धारि अपूरब जस लीधौ।--वं.भा.
  • उदा.--2..अठी चीतोड़ रा अधीस रांणा लाखा रा पट्टपकुमार चूंडा थी पुत्री रौ संबंध करण रै काम मंडोउर रै नरेस राठौड़ रणमाल आपरा पीळिपात्र भेजिया।--वं.भा.
6.व्याकरण के अनुसार एक कारक जिससे एक शब्द के साथ दूसरे शब्द का संबंध या लगाव सूचित होता है।
7.एक साथ बंधने या जुड़ने की क्रिया।
8.विवरण, हवाला। भ.भे.--संनबंध, संमंध, सनबंध, सनमंद, सनमंध, समनमन, सन-मुधि, सबंध, समंध, समध।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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