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संबर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.शंबर, शंवर:
1.युद्ध, संग्राम।
  • उदा.--मेघाउंबर ज्यूं मचै, धूआं डंबर धियाग। रस संबर 'पातल' रचै, खित अविरळ झड़ खाग।--जैतदांन बारहठ
  • उदा.--थोथा गैडंबर संबर बिण थाया। छपनै। सूमां सा आउंबर छाया।--ऊ.का.
3.मेघ, बादल।
  • उदा.--1..धुरधर असाढा। अंबर धर-हरियौ। धोरा डंबर मैं संबर धर हरियौ।--ऊ.का.
  • उदा.--2..अंबर संबर बिण संबर अकुळावै, जळहर बलियां बिन जळियां जिय जावै।--ऊ.का.
4.एक प्रकार की बड़ी मछली।
5.मच्छी। (अं.मा; डिं.को; ह.नां.मा.)
6.एक राक्षस जिसका शिव ने वध किया।
  • उदा.--करि सारत अस दब्बि, ईख नरपि आडंबर। सिर संकर दौड़ियौ, जांण कोपे रिपु संबर।--रा.रू.
7.एक राक्षस जो कृष्ण-पुत्र प्रद्युम्न द्वारा मारा गया था।
8.हिरण्याक्ष का पुत्र, एक दानव।
9.इंन्द्र-बलि युद्ध में बलि पक्षीय एक असुर।
10.मृग, हिरन।
11.अर्जुन नामक वृक्ष।
12.एक पर्वत का नाम।
13.दिवोदास, कामदेव आदि का शत्रुऊ एक दैत्य जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से एक था तथा इंद्र के द्वारा मारा गया था। (सं.शंबरारि)
14.कामदेव।
  • उदा.--झखां खंजरीटां भ्रगां, संबर हतक सरांह। जैतसार ज्यांरा नयण, सरोरूहां।--बां.दा.
15.पशु चौपाया।
  • उदा.--अंबर संबर बिण संबर अकुळावै, जळहर बळियां बिन जळियां जिय जावै।--ऊ.का.
16.एक पर्वत।
17.देखो 'सांबर' (रू.भे.)
  • उदा.--1..गरदां धर अंबर गूंधळियौ, धमळागिर डूंगर घूंघुळियौ। कटकां विच मीर सिकार करै, भ्रिघ नाहर संबर रोझ भरै।--गु.रू.बं.
  • उदा.--2..सुअर संबर ससा सीआल, फिरइंआहेडी तीह ना काल। हरिण रोझ जइ दीठउं किमइ, आगलि मरण ति पांपइं तिमइ।--वस्तिग
(सं.शवरम्‌) 2 जल, पानी। (अवधांन माळा)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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