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संयम  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.संयम:
1.रोक, दमन।
  • उदा.--सरीर सरोवर राम जळ, माही संयम सार। दादू सहजै। सबगये, मन के मेल विकार।--दादूबांणी
2.चित्त की अनुचित वतियों का निरोध, इंद्रिय-निग्रह।
  • उदा.--संयम सहाय, अल अंतराय। परहरहु पीर, तुरीयाब्धि तीर। त्रहुं ताप तोर, घननाद घोर। आस्चर्य एह, दुधवि विदेह।--ऊ.का.
3.क्रोधादि में न आने की क्रिया, शान्त रहने की क्रिया या भाव।
4.धार्मिक व्रत।
  • उदा.--1..घड़ै चीकणै छांट, रवै ना तिसळै नीचै। घट काचै पट रचै, जंचै रंग सोणौ सीचैं बाळक पण री पाठ सकळ उपदेसां सांचौ। पढ लिख सीखो संयम, बालकां थे घट काचौ।--दसमेव
  • उदा.--2..पइसौ पांणी में मेल्यां डूबै अनै उण ही पइसा ने ताप लगाय कूट-कॅट नै बाटकी कीधी ते तिरै। उण बाटकी में पइसौ मेलै तो पइसौ पण तिरै। तिम जीव तप, संयम आदि करि आतमा हळकी कीधां तिरै।--भि.द्र.
5.स्वास्थय की द्दष्टि से शरीर को हानिकारक कार्यों या बातों से बचते हुए अलग या दूर रहने की क्रिया या भाव, परहेज।
6.अनुचित कार्यों या बातों से आने आपको रोकना।
7.धूम्राक्ष का एक पुत्र।
8.मन की एकाग्रता एवं योग के धारण, य्यान व समाधि।
9.व्यवस्थित रूप से बांधने या बंद करने की क्रिया या भाव।
10.महाराजा अम्बरीख के सेनापति सुदवे द्वारा मारा गया एक शतमृंग नामक राक्षस।
11.राजर्षि कृशाश्च के पिता।
रू.भे.
संजम, संजमि, संजिम।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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