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सकर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
1.देखो 'सक्र' (रू.भे.)
  • उदा.--1..आकुलत व्याकुलता चलत नह आवणै पीव किण भांत आरांम पांमै। सुकरदै सकर चा नैंण मूंदै संची, नागणी नाग सिर घडा नांमै।--महाराजा राजसिंह रौ गीत
  • उदा.--2..कळह कराळौ अजन-सर सकर बज्र अकाळौ, उड़ण अह पंखाळौ अगनि झळ ओप। सेल रो उलाळौ सहसमल, काळ चाळौ किनां जटाधर कोप।--सहसमल राठौड़ रौ गीत
2.देखो 'सक्कर' (रू.भे.)
  • उदा.--बायक लवग मसाला बांटै, जीभ सकर मीठम जेम। सोहड़ां कज कोड़ां 'परसा' सुत, आखर तणौ रामरस अेम।--आईदांन गाडणरौ गीत
सं.पु.
संहार, नाश।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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