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सकस
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
1.वीर पुरुष।
उदा.--
1..
सकसै
का जैतवार अकसै का वाई। अरिदळ समुद्र आए कुंभज के भाई।--रा.रू.
उदा.--
2..वीर तन छोह छकाळ कस बीछड़े, रूक सूं भिड़ै असपति सारीस। सीस देवळ तणौ डिगण न दियै
सकस
, 'स्यांम तण भुजा ऊपरजतै सीस।--सुजांणसिंघ भोजराजौत रौ गीत
2.पति।
उदा.--
दिन रात सम तुल रासि दिनकर, सरकि अनुक्रमि सरवरी। स्त्रियजीत पति गुण पखि चखि सुख
सकस
। पखि जिम सुंदरी।--रा.रू.
3.देखो 'सख्स' (रू.भे.)
उदा.--
हजूर अमीर खड़े नामदार
सकस
। कमददीखांन दोरा नुरराबाज बगस।--रा.रू.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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