सं.स्त्री.
1.सहेली, सहचरी। (अ.मा; डिं.को.)
- उदा.--1..सखी भरोसौ नाह रौ, सूनौ सदन म जांण। फूल सुगंधी फौज मैं, आसी भंवर उडांण।--वी.स.
- उदा.--2..सखीय सहित तिहिं राजकुआरि आवी ऊलटि आपणइ ए। सांथिइं आंणीआ तुरंगम त्रिण्णि आंणी कोडि कंचण तणी ए।--हीराणंद सूरि
- उदा.--3..सरी घटियाळ अरोहित सेर, सख्यां महताहळ माळ सुमेर। किया सरजीवत तेड़ि कबंध बूझै पितु मात कुसी धजबंध।--मे.म.
- उदा.--4..मीदरंतीर किया खिणंतरि मिळिवा, विचित्रै सखिए समाव्रत। कीधै तिणि वीवाह संसक्रित, करण सु तणु रति संसक्रत।--वेलि.
2.किसी नायिका के साथ रहने वाली स्त्री जिससे नायिका कोई बात न छुपावे। (साहित्य)
3.प्रत्येक चरण में 14 मात्राऐं व अंत में एक मगण या एक यगण का छंद। (सं.शिखिन्)
4.अग्नि, आग। (डिं.को.) वि.(फा.)
रू.भे.
संइ, सइयर, सई, सयी, सहि, सहियर, सही।
पर्याय.--आली, वयसा, सचैत, स्रधीची, सयण, सहचरी, सहेली, सुखदा, सुवंछक, हितू।