सं.पु.
1.परमात्मा का वह रूप जो सस्व, रज और तम तीनों गुणों से युक्त हो।
2.ईश्वर, परमात्मा। (नां.मा.)
3.एक सम्प्रदाय विशेष जिसमें ईश्वर का सगुण साकार रूप मान कर पूजा की जाती है।
4.अच्छे गुण, श्रेष्ठ गुण।
6.डोरी चढ़ा हुआ धनुष। वि.(स्त्री.सगुणी)
1.गुणवान, चतुर।
- उदा.--1..सारसड़ी मोती चुणइ, चुणइ त कुरळई कांइ। सगुण पियांरा जड मिळइ, मिळइ त बिछुड़इ कांइ।--ढो.मा.
- उदा.--2..आवै हित आवै अवसि, परत न खोवै प्रीत। हौं जांणूं मौ ज्यौं हुसी, मौ सगुणी रो मीत।--र.हमरीर
- उदा.--3..सूड़ा, सगुण ज पंखिया, म्हांकउ कह्यउ करै ज। नव मण चंदण, मण अगर, माळवणी दागै ज।--ढो.मा.
- उदा.--4..माळव देस विखोड़िया, मारू किया वखांण। मारू सोहागिण थई, सुंदरि सगुण सुजांण।--ढो.मा.
2.परोपकारी।
- उदा.--1..दादू सगुणा गुण करै, निगुणा मांनै नांहि। निगुणा मर निस्फल गया, सगुगुणा साहिब मांहि।--दादूबांणी
- उदा.--2..सगुणा गुण केतै करै, निगुणा न मांने नीच। दादू साधू सब कहै, निगुणा कै सिर मीच।--दादूबांणी
3.कृतज्ञ।
- उदा.--1. दादू सगुणा लीजियै, निगुणा दीजै डार। सगुणा सन्मुख राखियै, निगुणा नेह निवार।--दादूबांणी
- उदा.--2. सगुणा गुण केतै करै, निगुणा न मांनै एक। दादू साधू सब कहै, निगुणा नरक अनेक।--दादूबांणी
4.अच्छी आदत वाला, अच्छे व्यवहार वाला।
5.सांसारिक। 9ण देखो 'सुगन' (रू.भे.)