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सद  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.सदस्‌
1.सभा। (डिं.को.)
2.च्रद्रमा, चांद। (अ.मा;डिं.को.)
3.दान, पुण्य।
  • उदा.--देख तासा डरपिया, कई साध संयांणां, सूरापूरा सद किया दिल ताक खुलाणां, जो दीना सो उबरीया, अै आदु अवखाणां।--केसवदास गाडण
4.परमेश्वर।
5.ज्ञानी। 6- ब्रह्म।
7.साधु, संत।
8.धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक।--
9.अंगिरा एंव सुरूपा के पुत्रों मे से एक।--
10.सत्य, सच। (ह.नां.मा.) सं.स्त्री.--
11.प्रकृति।
12.रुकावट, बाधा।
  • उदा.--हफत हजारी हफत, सझै हक सद जै सायत। आय हफत ईसफां मिळौख हफतम सझि हिम्मत।--सू.प्र.
1.ताजा।
  • उदा.--1..महीलां सुरंगी जाल्ीयां, मारू हद मजेज। रस चादर कस ढोलड़ी, सद फूलां री सेज।--पनां।
  • उदा.--2..पांणी सद विद्या बिन राह न सूझै, उर अंतर में जीव अमूजै। बीजां नें फिर फिर मगबूजै, दुजा घालै मारग दूजै।--ऊ.का.
  • उदा.--2..गिणजै सद ज्यांरी जिदगांणी उभै विरद धरियां अखत। प्रारंभै दौलत पुन पांणा, पुझै सुवांखां सीतपत।--र.रू.
3.कल्याणकारी, शयुभ, म्रंगलमय।
  • उदा.--वेद धरम सुकन बतायौ, अमल नयौ वेदांत अचायौ।--ऊ.का.
4.सही, सत्य या पूर्ण।
  • उदा.--1..हुआ दळ राजथांनां दकत रायहर, जठै प्रीछत बखत यहै जांणौ। स्त्रीहतां लिखत लखीया जिकै सद करै, रद करै नांज पत भगत रांणौ।--जवांनसजी आढौ
  • उदा.--2..वायक सतगुर वेद रौ, घणौ करै हित घोस। रे इण लालच रोग रौ, सद ओखद संतो।--बां.दा.
5.ठंडा, शीतल।
  • उदा.--आ बढली सासड़ यूं कहै, म्हांनै सद पांणीड़ौ पाव ववड़िया सरवणती।--लो.गी.
6.मनोहर, सुन्दर।
7.न मिटने वाला, अमिट।
9.देखो 'साद' (रू.भे.)
  • उदा.--1..घुरत सदनगारां सझै हिक साथ घण, सेहरौ बांधि बे बर सनेही। चाव करि कुनणपुर एम चवरी चढै, 'जगा' रौ किसनगढ जोध जेही।--महाराजा राजसिंह रौ गीत
  • उदा.--2..असि भीम चडै, असमांन अडै। दम्मांम सदं, नीसांण नदं।--गु.रू.बं.
  • उदा.--3..बळबळ प्रथी सुजस सद बोलत, सूरज तड़ दासरथी सूरज।--र.ज.प्र.
11.देखो 'सदा' (रू.भे.)
  • उदा.--आ धरती सद ऊनमती, फिरती करनी फैल। भालां बळ राखी भिरड 'बळवत' छैल बकैल।--अज्ञात
वि.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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