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सदन  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.घर, मकान। (अ.मा;डिं.को; ह.नां.मा.)
  • उदा.--12..मन मूरति मूरति मदन, सुभ गुण सदन सिंगार। असवारी कजि आंणियौ, ऊपरि लूंण उतार।--रा.रू.
  • उदा.--2.- सदन संवार्‌ययौ सांतरौ, नर उद्यम कर नेक। खित पर सोीा 'खेतसी', आखै मिनख अनेक।--नारायणसिंह सांदू
  • उदा.--3.3.गाडा भरिया गोलखां, सूनौ सदन सुरंग। कंथ खणां ही कायरां, जांणी जै इम जंग।--बां.दा.
2.राशि, समूह।
  • उदा.--चहुवांण इण मीणां रै प्रधांन हुतौ, तिकण रै दारेइ दुहिता रू प री सदन जांणि जैता रै पुत्र बिग्रह राज.....बिबाहण री विचारी।--वं.भा.
3.जल, पानी।
4.यज्ञमणडप।
5.यमराज का आवास--स्थान।
6.रहने का स्थान।
7.खान।सदनांमी--सं.स्त्री.--यश, कीर्ति।
  • उदा.--सरती सदनांमी चाहत नहिं चोरी, डरती बदनांमी गावत नहिं डज्ञेरी।--ऊ.का.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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