HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

सदा  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
क्रि.वि.
सं.
1.सदैव, नित्य, हमेशा। (डिं.को.)
  • उदा.--1..आज गुरुजी काळी अंधारी राज है, पाळै रौ घणौ जोर है। सदा सूं पैला घरां पधारौ।--दसदोख
  • उदा.--2..हुवै चम्मरां झाटका जोति हूवै, सदा ऊतरै आरती सांझ सूबै। तकै भादवी माह ऊपांत तित्थी, पड़ै मायरै पाय प्रत्यीप प्रत्थी।--मे.म.
  • उदा.--3..धनौ धन्य मा आवड़ा धाड़ धाड़ा, अखीजै किसी जीह थारा अखाड़ा। सदा तूं रमै रास नौ कोड़ साथै, महामोड़ तू कोड़ तेतीस माथै।--मे.म.
  • मुहावरा--सदा दिवाळी संत रै आठूं पहर आणंद=संत सदा खुश रहते हैं।
2.हर समय, हर वक्त।
  • उदा.--1..खत्रऋवट सरम सदा थां खोळै, औ हिंदवांण वचावौ ओळै।--रा.रू.
  • उदा.--2..उठै झाड़ कंडीर पाहाड अैडा, वणैं मंथरां हालणौ पंथ बैंडा। खळक्कै सदा नीझरां नीर खोळा, छळै कुंड अल्लील सल्लील छोळां।--मे.म.
  • उदा.--3..दिलीवै कहर पतसाह रा भांज दळां, सोहिया दळां विच वीर साजा। सदा जोरावरां तणा नव-साहसौ, राह सिर ऊपरै हुअै राजा।--देवराज रतनू
  • उदा.--4..रातौ रहै सदा विख रस मैं, पेम भगति नही भाय। लोक लाज काज कुळ मांही, हरि पूज्यौ न सुहाय।--अनुभववांणी
3.निरन्तर, लगातार।
रू.भे.
सद, सदाई, सदाय।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची