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सपुत, सपुतर, सपुत्र, सपूत  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.सुपुत्र
1.वह पुत्र जो आज्ञाकारी हो।
  • उदा.--1..पछै कह्यौ--'भाटी च्यार बूढा म्हां कनै मेलौ, राज थै। भोगवा। हूं तो इण वात गाढौ राजी छूं। म्हारै थैं सपूत छौ। लूणकरण करमसी वै कपूत छै, सु परा गया। बळाय चूकी।--नैणसी
  • उदा.--2..सपूत हुवै सौ तौ पिण माता रा यत्न करै अनै कपूत हुवै तै ऊंधा अंवला बोलै।--भि.द्र.
2.भला, सरीफ।
  • उदा.--पटवारी सपूत स्यांणौ, ओसथ्या ही ठीक--ठीक सुणा'र किसन जी आखा देई देवता नै धोक मारी।--दसदोख
3.वीर, योद्धा।
  • उदा.--'अजब' सुजाव गुणां अदभूतां, समहर 'नाथौ' धुजा सपूतां। वदौ दनावत वाबै सूरां, हेवै दलै वरावण हूरां।--रा.रू.
1.योग्य, बुद्धिमान, समझदार।
  • उदा.--'राव जी सूं कहौ, भूंडा दीस्यौ। राठोड़ां सूं बीहता कितराइक दिन रहस्यौ ? हूं मोहिल परणीस। ताहरां राव कासूं करै ? वेटौ न रहै। टीकायत बेटौ सपूत।--नैणसी
  • उदा.--पूत सपूत हा तौ क्यूं धन संचै। पूत कपूत हौ तौ क्यूं धन संचै।--अज्ञात
2.पुत्र के साथ, पुत्र सहित।
रू.भे.
सुपूत।
वि.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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