वि.
1.समस्त, कुल।
- उदा.--1..अखिल जगत मैं सकति अखारै, तै सब है अवतार तिहारै। चारन तूझ चरन कै चेरै, तिन मैं जन्म लिये बहु तरै।--मे.म.
- उदा.--2..अस्वीन चैत्र मास पख ऊजळ, थित सब सकति होत मंडळ थळ। तांन गांन ततकार बजत्रन, ध्वांन सिसर ततधन आंनद्धन।--मे.म.
- उदा.--3..पण सबसूं छोटकी रांणी रै हाल जापौ नीं.व्हियौ हौ। उण वास्तै उण नै बारै राखी।--फुलवाड़ी
2.अवधि, मात्रा, विस्तार, आदि के विचार से जितना है वह कुल, सर्व।
- उदा.--कागां केरी चांच ज्यूं, चुगलां केर जीह। सिवटा ज्यूं परची वुरी, चूंथै सब ही दीह।--बां.दा.
रू.भे.
सबै, सब्ब, सब्बा, सब्बी, सब्बै, सब्भ, सब्भै, सभ, सभी, सम्भ, सवि, सवै।
सं.स्त्री.(फा.शब) रात, रात्रि।