सं.पु.
सं.शब्द
किसी पदार्थ पर आघात करने या दोनों और खींच कर बांधी हुई रस्सी आदि को बीच में से पकड़ कर एक दम वापिस छोड़ने से या किसी पदार्थ के टूटने-फूटने से उत्पन्न ध्वनि, तरंग या कम्पन जो हमारे कान व श्रवणेन्द्रिय तक पहुंचती है, आवाज। (अ.मा;डिं.को;ह.नां.मा.)
- उदा.--1..घूघरां तणा झणणाट हुय घमाघम, बीण रा तंत्र तणणाट बाजै। नकीबां बोल हणणाट हुय नोबतां, गयण धर सबद गणणाट गाजै।--खेतसी बारहठ
- उदा.--2..कळह रचै दसकंध, नवग्रह बंध निवारियौ। हुवा धनुस गुण सबद व्है, गतमद जग मदगंध।--बां.दा.
- उदा.--3..ढम ढम ढोल घूघरा छम छम, क्रम क्रम कदम क्रमाड़ै। झांझर सबद वजत पद झम झम, रमझम रास रखाड़ै।--मे.म.
2.पशु.पक्षियों की बोल, आवाज।
- उदा.--1..जंबकसबद नचींत कर, डर कर तूं मत भाज। सादूळौ खीजै सुणै, जळहर हंदौ गाज।--बां.दा.
- उदा.--2..सिखर गिरां मोरा सबद नाच सरसाविया, पाविया जळ तरां त्रखा पाली। आवियाउमड़ घणस्याँम वीति अवध, आविया नहीं घणस्यांम आली।--बां.दा.
3.एक या अधिक वर्णो के संयोग से कंठ और तालू आदि के द्वारा उत्पन्न होने वाली स्वतंत्र व्यक्त और सार्थक ध्वनि।
- उदा.--1..वौ एक सबद ई नीं बोल्यौ, चुपचाप म्हारै लारै आयग्यौ।--अमरचूंनड़ी
- उदा.--2..संसार मैं 'मा' सबद कांई इतरौ हल्कौ व्हैग्यौ है के उणरा यूं अपमांन किया जावै।--अमरचूंनड़ी
- उदा.--3..सोफी सबद सुणाय, चोर रंग देत चिगाड़ै। बेरागी नै जगत, जगत नै भेख बिगाड़ै।--ऊ.का.
- उदा.--4..राजगरू तौ कांनां मैं सबद पड़णा री ई छूत पाळता, उण दिन चिता रै कारण वै अजांण ई चेतौ बिसरग्या कह्यौ--थैं ओछी जात वाळा आं मोटी बातां मैं नीं समझौ।--फुलवाड़ी
4.लिखा जाने वाला वर्ण जो किसी बात या भाव का बोधक हो, लफ्ज।
5.वचन।
- उदा.--जादमण आद करि भेट भणिया जठै, आपरा अठै परताप आछा। ऊगिया मदां सुप्रसन्न सबदां इंसा, पूगिया भवण बिसरांम पाछा।----मे.म.पयाय आरव, आवाज, कुण, कुणत, कुणद, घुकार, घोख, घोर, घोस, टेर, धुनि, ध्रवांन, ध्वांन, नद, नाद, निनंद, निनाद, निरावर, निसिमांन, निहकुंण, निहधोख, निरहाद, पुकार, बिराव, रव, राव, रुत, रूंण, सुर, सुनि, सारे, स्त्रवसार, स्वांन हाद।
6.उपदेश।
- उदा.--1..हरीया पासौ हाथा कौ, तौई न अपनै हाथि। सतगुर केरै सबद बिन, मन किन कै नहीं हाथि।--अनुभववांणी
- उदा.--2..सतगुर वाह्या सबद--सर, सनमुख लगा आय। हरीया सुगरा चेतसी, निगुरां गम न कार्य।--अनुभववांणी
7.सुयश, कीर्ति।8-निर्गुण सम्प्रदाय के साधु महात्माओं द्वारा रचित पद आदि।
- उदा.--प्रमामगन रांसरस पूरण, सागै सबद सुणावै। सनमुख हुय सरधा सूं सुमरण, सासौ सास समावै।--ऊ.का.
9.छप्पय छंद का 71 वां भेद जिसमें 152 लघु वर्ण या 152 मात्राएं होती हैं इसका दूसरा नाम 'मुनी' भी है।
10.दो लघु के णगण के दूसरे भेद का नाम। (डिं.को.)
रू.भे.
सद, सदि, सदै, सद्द, सद्दय, सबद्द, सब्द, सब्दु, सबद, साद।