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सबला, सबळि, सबळ  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.शबळी, सबलि:
1.संध्या, सायंकाल। (डिं.को.)
2.कामधेनु।
3.चितकबरी गाय।
  • उदा.--बुरी सीणी सुर झीणी बतलावै, माड़ी काजळ लख प्राजळ मतळावै। अबळी सबळी नै सबळी उर आंणै, गोरी गुणवंती गोरी गुण गावै।--ऊ.का.
2.देखो 'सबळ' (रू.भे.)
  • उदा.--1..राठौड़ सबळा, मेहिलां री ठकुराई सबळी पण भाई बंधै मेळ घणौ काई नहीं--नैणसी
  • उदा.--2..कळहेवा जिका बडा कुदरत मै, हांम सबळि खळ वहण हियै। त्रिजडां मुहि जिकै वरै त्रिविधि धड देखै जम मुंहि पूठ दिये।--गु.रू.बं.
  • उदा.--3..पछै यां विचारियौ-म्हांसू धरती छूटी। सबळी ठौड़ आंणी।--नैणसी


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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