सं.स्त्री.
सं.शबळी, सबलि:
1.संध्या, सायंकाल। (डिं.को.)
3.चितकबरी गाय।
- उदा.--बुरी सीणी सुर झीणी बतलावै, माड़ी काजळ लख प्राजळ मतळावै। अबळी सबळी नै सबळी उर आंणै, गोरी गुणवंती गोरी गुण गावै।--ऊ.का.
2.देखो 'सबळ' (रू.भे.)
- उदा.--1..राठौड़ सबळा, मेहिलां री ठकुराई सबळी पण भाई बंधै मेळ घणौ काई नहीं--नैणसी
- उदा.--2..कळहेवा जिका बडा कुदरत मै, हांम सबळि खळ वहण हियै। त्रिजडां मुहि जिकै वरै त्रिविधि धड देखै जम मुंहि पूठ दिये।--गु.रू.बं.
- उदा.--3..पछै यां विचारियौ-म्हांसू धरती छूटी। सबळी ठौड़ आंणी।--नैणसी