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समय  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.वक्त, काल (ह.नां.मा.)
  • उदा.--1..कमनैत तीरन तांनिकै पखरैत बेधत पांनि कै 'बुध' तनय हित जय प्रणय नय बय छपय रन सुभ अभय अतिसय विसय चप भुव बलय विसमय प्रलयमय भय समय निरदय उदय रवि नयनिलय अतिरय अजय खयकर अखय जय अय उभट सय पय ह्रदय अपचय कटय भअ स्मय निचय हय गय मार हीन सुमार।--वं.भा.
  • उदा.--2..मास आसाढ सुकल पख मांही, तिथि लोमी बरताई। स्वांत नखत्र समय संध्यारी, महर करी महमाइ।--मे.म.
2.अवसर, मौका।
  • उदा.--सुणौ ठाकुरां सिरदांरा, आय वणी महासूरां की वारां औ तौ अप्रबळ थळ पायौ, वंस कै धमळ तकौ समय आयौ।--रा.रू.
3.फुर्सत।
4.मान, गर्व, अभिमान। (अ.मा; ह.नां.मा.)
5.रैवत मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक सप्तर्षि का नाम।
6.अजित देवों में से एक।
7.हृदयाकाश में चक्रों का ध्यान।
रू.भे.
समइ, समइयै, समइयौ, समईयइ, समईयौ, समयौ, समां, समा, सकिअै, समिय, समियै, समियौ, समीयौ, समें, समे, समै, समैयौ, सम्मै।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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