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समसर, समसरि
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
महादेव, शिव। (अ.मा.) वि.बराबर, तुल्य।
उदा.--
1..सोभन अवास सोभा सुमेर, कोटक भंडार
समसर
कुमेर।--सू.प्र.
उदा.--
2..धरि जै सुत प्रतव्योम धुरंधर, सुत प्रतव्योम भांण राजेस्वर। भांण सु जादव दिया (क) तेज भर, सुत सहदेव हुवौ इंद्र
समसर
।--सू.प्र.
उदा.--
3..बे हरि हर भजै अतारू बोलै, तै ग्रव भागीरथी म तूं। एक देस वाहणी न आंणां, सुरसरि
समसरि
सूं।--वेलि.
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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