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समीप  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
क्रि.वि.
सं.
1.निकट, नजदीक, आसपास। (अ.मा; डिं.को.)
  • उदा.--मिळि पधराय सवाय हित, डेरा दिया समीप। छत्रपति छाजै ऊधरै, राजै जोड़ महीप।--रा.रू.
2.पास, सम्मुख।
  • उदा.--मुख वचन बह मनुहार, कहि भांत भांत प्रकार। मेल्हिया 'जसै' महीप, आविया 'अजण' समीप।--सू.प्र.
3.पास
  • उदा.--अर जवनेस रा आगम रै निमित्त प्रथ्वीराज कुमार पिता सूं प्रचछन्न आपरौ परिकर कैमासरै समप भेजि खुरसांण री फौजां विरोळण रौ निदेस कहियौ।--वं.भा.
रू.भे.
समीपि, पसीपी, सांमीप।
पर्याय.--अवदूर, उप, ढिग, तट, नजीक, निकट, नेड़ौ, पारसव, पास।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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