4.छप्पय छंदाक 35 वां भेद जिसमें 36 गुरु 80 लघु कुल 116 वर्ण या 152 मात्राएं होती है
5.एक छंद विशेष जिसके प्रत्येक चरण में क्रमश: तीनसगण एवं लघु गुरु सहित 11 वर्ण होते हैं।
6- एक मात्रिक छंद विशेष जिसके प्रत्येक चरण में 14 मात्राएं होती हैं एवं सात मात्राओं पर विश्राम होता है। इसे मोहणी भी कहते हैं।
वि.
1.रसपूर्ण, रसीला।
- उदा.--परढीसि हवि पांचमा, अंग-सणउ अधिकार। सरस अनइ सरला वचन सारद आपैसार।--मा.कां.प्र.
2.समान, तुल्य।
- उदा.--1..सिंघ सरस रायसिंघ रै, रहियौ झूझै रांम। आड़ौ सरवहियौ अछै, कळह तणौ धरि कांम।--हाला झाला रा कुण्डळिया
- उदा.--2.. इन्द्र हू सरस राजस अमास, प्रिय जूथ सात सै मुर पचास।--सू.प्र.
- उदा.--3..त्रीकम सरस लगावण ताळी, एकण ध्यान रहउ पग एक। रहण इसा जोगेन्द्र रहंता, आछी जुग वउळिया अनेक।--महादेव पारवती री वेलि
3.जोशपूर्ण, जोशीला।
- उदा.--1..आया वसिया आपणी, ग्रखम थई वतीत। गुणचाळौ लागौ वरस, चाळौ सरस सजीत।--रा.रू.
- उदा.--2..सयरस आप खग, तप सरसांणै। 'मुदफर' दळ भागा मुगलांणै।--सू.प्र.
4.प्रीति सहित, प्रेमपूर्ण।
- उदा.--बोल नसपब सरस द्रढ बंधै, तुत पितु हूंत महा छळ संधै।--रा.रू.
5.पल्लवित, हरा-भरा।
- उदा.--पतळी केळू कामंड़ी है, सरससुवांणी डाळियां। छांट छोल लै'रां लपेटां करड़ पटीली बाळियां।--दसदेव
6.किसी की तुलना में अपेक्षाकड़त अच्छा, बढ़कर।
- उदा.--1..ऊससै कमंध लागै उरसि, राजा चढियौ वीरस। उण वार लोह मुंहगौ हुवौ, सोना ही हूँतासरस।--सू.प्र.
- उदा.--2..असिवर कै तेज पुंज 'मधकर' कै पोतै, प्रांण तैं सरस पायौअवसांण जोतै।--रा.रू.
7.सुंदर, मनोहर।
- उदा.--पतिव्रता नेह अपार सझि सोल सरस सिगार। बह कळा लछण बत्तीस, सझि आभरण खटतीस।--सू.प्र.
9 स्वादिष्ट जायकेदार।
- उदा.--1..बीडां दीजइ वलि वलि, सुदिमल सरस कपूरि। करइं जि आलस मतै सवि, केसवि कीजइ दूरि।--जयसेखर सूरि
- उदा.--2..वडबोरां रा बोर, जूनौड़ा जामफळ है। छोकिया छिबजो, सरस ज्यूं इमीफळ है।--दसदेव
9.उत्तम, पवित्र।
- उदा.--सरस पुरांणा बीच सुणी थी, किसन सुदांमा तणी कथ। दतदेतै साख्यात दिखावी, सौ विध नवसहंसा समथ।--बां.दा.
11 मधुर, मीठा
- उदा.--धोळी सुघड़ बत्तीसी, जांणै पळकता मोती ई खराद उतर्या। सरस सुहांणी बोली, जांणै गळा सूं बोलां रै बदळै फूल निसर निसर नै विकसै।--फुलवाड़ी
14.गुणदायक, लाभप्रद।
- उदा.--धनि अीह गुर साचै गुर कूं धनि, जीणि बूंटी सरस बताई रे। वा बूंटी जा संतां साधी, अगि भई सितळाई रे।--वील्हौजी
15.आनन्दपूर्वक, प्रेम सहित।
- उदा.--हुआ धमळमंगळ हरिख, वधिया नेह नवल्ल। सूर 'रतन' सतिआं सरस, मिळिया जाई महल्ल।--र. वचनिका
16.आनन्ददायक
- उदा.--1..खचोथ चिहुँ दिस ऊनम्यौ, मेह रह्यौ झड़ लाय। प्रीतम प्यारी रंग रमै, सेझां सरस बणाय।--कुंवरसी सांखला री वारता
- उदा.--2..सरवर चेलै मांकमणी, वादळ खेलै बीज। प्यारी खेली पीव सं, सरस सांवस री तीज।--कुंवरसी सांखला री बारता
17.बहुत अधिक, अत्यधिक।
- उदा.--1..ताव अलाजां तरस, सरस रण चाव सलाजां। वणैं राजां बहिर, गहिर तोपां धण गाजां।--वं.भा.
- उदा.--2..लखि वेणी नागणि लजी, धुकि धर मांहि धसंत। सखी अंग सोभा सरस, बिलखी देस बसंत।--सिवबक्स पाल्हावत
- उदा.--3.. सात्युं सरस सनेह सूंख मोहल बुलाई पीव। कर पकड़ै सेझां लई, कांपण लागौ। जीव।--कुंवरसी सांखला री वारता
18.देखो 'सरस्वती' (रू.भे.)
- उदा.--रमतां जगदीसर तणौ रहसि रस, मिथ्या वयण न तासु महै। सरसै युखमणी तणी सहचरी, कहिया थूं मैं तेम कहै।--वेनि