5.संगीत में षडज स्वर का सूचक शब्द या संक्षिप्त रूप। ज्यूं--सा, रे, ग, म, प। सं.स्त्री.--
1.समान, तुल्य।
- उदा.--1..गरु गारडु कोय मिळावै, मेरै तन की तपति बुझावै। सतगुर सा सम्रथ नहीं कोई, विसीया लहरि मिटावै सोई।--अनुभववांणी
- उदा.--2..सतगुरु सोई जांणीयै, कहै कहावै रांम। हरीया गुरु गोविंद सा, और न कौ विसरांम।--अनुभववांणी
- उदा.--3..अइयौ मौज जकां नुं आपै, साधां नै कविळास समापै। अनंत भगत तूं सा उधरिया, तुझ तणै ऊपरि सा तरिया।--पी.ग्रं.
2.अच्छा, भला।
- उदा.--सा पुरसां संतोखियां, खाणां जवहर खांण। बेलां चित्रां बेलड़ी, पारस सयल पखांण।--बां.दा.
3.साथ। सर्व.स्त्री.--वह।
- उदा.--1..ढाढी एक संदेसड़उ, प्रीतम कहिया जाइ। सा धण बळि कुइळा भई, भसम ढंढोळिसि आइ।--ढो.मा.
- उदा.--2..पुनरपि पधरावी कन्है प्रांणपति, सहित लाज भय प्रीति सा। मुगतकेस त्रूटी मुगतावळि, कस छूटी छुद्रघंटिका।--वेलि.
- उदा.--3..सा धण क्रुंझि बचाह ज्यउं, लंबी थई तुं कंध। चीतारंती सज्जाणां, नीहाळंती मग्ग।--ढो.मा.
2.समान होने पर भी किसी प्रकार की थोड़ी न्यूनता या हीनता का भाव सूचित करने के लिए।
- उदा.--परभात बाहर आया सौ उदास सा रह्या। झाली तौ नां दांतण, ना सिनांन कीवी, न जीमी। रात घड़ी च्यार गयां समुद्र आयौ। तद झाली खींवसीजी नुं बोलाया।----कुंवरसी सांखला री वारता ज्यूं बौ मेला सा कपड़ा पेर्यां ऊबौ हौ। बाळदिय कन्है तौ मड़ा सा बळद व्है।
3.किसी अनिश्चित मात्रा या मान पर जोर देने के लिए। ज्यूं--थोड़ा सा बोर दीज्यौ, थोड़ा सा आदमी आया।
5.देखो 'साह' (रू.भे.)
- उदा.--सुज तेज देखि सधीर, अड़ियौ न कोय अमीर। सझि तांम अजण सलाह, सा' थियौ दौलासाह।--सू.प्र.
अव्यय
एक सम्बन्ध-सूचक अव्यय जिसका प्रयोग कहीं क्रिया विशेषण की तरह और कहीं विशेषण की तरह नीचे लिखे आशय या भाव सूचित करने के लिए होता है :--