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सातू, स़ातू  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.सक्तुक
1.गेहूं, चना, चावल आदि के आटे का बनाया जाने वाला खाद्य पदार्थ।
2.भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया (कजलीतीज) पर बनायाजाने वाला एक मिष्ठान जो चावल, गेहूं, चने आदि के आटे को घी में भून कर शक्कर मिला कर बनायाजाता है।
3.जौ, चावल, चने, आदि का भूना हुआ चूर्ण, आटा।
रू.भे.
सत्तु, सत्तू।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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