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साथि  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
1.देखो 'साथी' (रू.भे.)
2.देखो 'साथ' (रू.भे.)
  • उदा.--1..सारंग सिळीमुख साथि सारथी, प्रोहित जांणणहार पथ। कागळ चौ ततकाळ क्रपानिधि, रथ बैठा सांभळ अरथ।--वेलि.
  • उदा.--2..कुंअर पयंदै 'केहरि', करि मोसू रिणताळ। 'गोइंद' हूंतौ साथि मौ, मै वूहौ गोपाळ।--गु.रू.बं.
  • उदा.--3..सिंधु थकी सर अधिकुं अतिसि मि मन साथि दीठूं। येह नूं जल कांई अरथि न आवि, आ तौ अम्रत मीठूँ।--नळाख्यांन


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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