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साध्य  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.एक प्रकार के गण देवता जिनकी संख्या बारह है--मन, मंता, प्राण, नर, अपान्‌, वीर्यवान, विनिर्भय, नय, दंस, नारायण, वृष और प्रमुंच। वि.वि.--पुराणानुसार ये दक्ष प्रजापति की पुत्री साध्या व धर्म के संसर्ग से उत्पन्न हुए थे।
2.ज्योतिष शास्त्र के 27 योगों में से एक। (ज्योतिष)
3.एक सद्‌गुण जिसमें तीन नेत्रों वाले 84 करोड़ रुद्रोपासक समाविष्ट थे।
4.गुरु से लिए जाने वाले चार प्रकार के मंत्रों में से एक। (तंत्र)
5.देवता।
6.चाक्षुक मनु के पुत्रों में से एक। वि.--
1.सिद्ध करने योग्य।
2.जिसकी चिकित्सा की जा सके।
3.सहज, सरल।
रू.भे.
साधि।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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