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सायुज, सायुज्य  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.सायुज्यं
1.पांच प्रकार की मुक्तियों में से एक प्रकार की मुक्ति या मोक्ष। इसमें जीवात्मा का परमात्मा में लीना माना जाता है।
  • उदा.--सालोक्य संगति रहै, सांमीप्य सन्मुख सोइ। सारूप सारीखा भया, सायुज्य एकै होइ।--दादूबांणी
2.किसी में इस प्रकार मिलने की क्रिया कि भेद न रहे।
3.समानता, सादृश्यता।
रू.भे.
साजज, साजुज्य, साजोजमुकत, साजोजमुकति, साजोजमुक्त, साजोजमुक्ति, साजोजमुगत, साजोजमुगति।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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