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साल  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
फा.शाल
1.बारह महिनों का समय, वर्ष।
  • उदा.--1..दाखी अरज 'दुरग्ग' यां, सब खळ करां संघार। साहब मन खुसियाळ सूं, जीवै साल हजार।--रा.रू.
  • उदा.--2..अठी-उठी सोध-सोधाय नवलखौ हार लेयनै आयौ। सेठ देखतां ईं पिछांणग्या। आपरै हाथां परार री साल ई औ हार बणवायौ हौ। तीनूं चीजां सागै री सागै।--फुलवाड़ी
  • उदा.--3..तूं बहोत भूंडौ कर्‌यौ, छोटा ठाकुर। साल भर सूं जंगळ छांणतां-छांणतां मोकौ हाथ लाग्यौ हौ। तूं सब चोपट कर दियौ।--तिरसंकू
2.एक प्रकार का वृक्ष विशेष। (अ.मा.) वि.वि.--इसके बड़े-बड़े वृक्ष होते हैं। इसके पत्ते भी बड़े होते हैं व फूल कुमखों में आते हैं। इसके गोंद को राल कहते हैं। अश्वकर्ण, अजकर्ण आदि इसके भेद हैं।
3.वृक्ष, पेड़। (डिं.को.)
4.अश्वकर्ण नामक वृक्ष।
  • उदा.--ताल साल मालिका, बकुल कुबजक खरजूरी। बोलसरी माधुरी, निगर भर हरी सनूरी।--रा.रू.
5.एक प्रकार का पुष्प, फूल। (अ.मा.)
6.वह स्थान जहां सिक्के ढाले जाते हैं, टकसाल।
  • उदा.--एक सिकौ इक साल कौ, घड़ियौ एकण घाट। हरिया कहिद्यै पारखु, जैसौ पेट'र थाट।--अनुभववांणी
7.दुःख, दर्द।
  • उदा.--1..पियै तमाखू कापुरस, सापुरसां हिय साल। सालै निसदिन समझणां, चालै चाल कुचाल।--ऊ.का.
  • उदा.--2..लांबी कांब चटक्कड़ा, गय लंबावइ जाळ। ढोलउ अजै न बाहुड़इ, प्रीतम मौ मन साल।--ढो.मा.
  • उदा.--3..रजनी तुं जाजै निज थांनक, दिवसै करिस्यां ख्याल। ताहरै मिलियौ माहरा मन नौ, टलियौ सबलौ साल।--विनय कुमार कृत कुसुमांजलि
8.शल्य, कांटा।
  • उदा.--1..तैं तौ अमनैं कीया निरास, नांखंतां दिन जाय नीसास। सास तणीपरि आवै चीति, साल तणी परि सालै प्रीति।--विनय कुमार कृत कुसुमांजलि
  • उदा.--2..केई फेरा पियै तुँहिज इमिरिति कुऔ, हेक दइतां तणै साल तूं हिज हुऔ। घणौ बळ तुझ मांह कहां कासुँ घणौ, तूं हीज दसरथ तण दईत दईतां तणौ।--पी.ग्रं.
  • उदा.--3..सत्रु रौ साल काढ आवता कुमार नूं मीणां सहित बूँदी रै लोक बधावणौ करि आंणियौ। अर आप-आप रै उचित उपदारी भेट करि राडि रौ रसिक जोरदार रक्षक जांणियौ।--वं.भा.
9.प्रहार, घाव।
  • उदा.--अठी पांचमौं भाई किसोरसिंघ केही हाथियां नूं हठाइ बरबीर नूं अग्रजां रा तथा आपरा साथी बणाइ धरा रौ कंवाड़ होण करवाळ रूप क्रकचां मैं अंग रा फाचरा उडाइ सेलां रा सालां करि पाछौ जुड़ाइ खेत पड़ियौ।--वं.भा.
10.घाटा, हानि, नुक्सान।
  • उदा.--बोल कै कुबोल भगौ टोल तू भयौ, माल तोल व्याज साल पोल मै सह्यौ। राजकै विहीन सत्यसिंदु तै रह्यौ, भाजकै अधीन दीनबंधु कै भयौ।--ऊ.का.
11.पलंग, खाट आदि के 'पाये' के वे छेद जिनमें पाटी' लगायी जाती है व उन छेदों के अन्दर रहने वाले 'पाटी' के भाग।
  • उदा.--जीयै घडी उदैराव रौ जनम हूवौ तीयै घड़ी प्रोळि रा कांगरा गिड पड्‌या। ढोलियै रा साल भागा। ताहरां रांणै पूछियौ। औ किसौ उपद्रव।--देवजी बगड़ावतां री बात
12.स्वर्ण, सोना। (अ.मा.) [सं.शाल]
13.जैनियों के 88 ग्रहों में से 77 वां ग्रह। सं.स्त्री.--
14.एक प्राचीन नदी का नाम जिसके कंकरों की पूजा विष्णु के रूप में की जाती है।
15.अस्त्रचिकित्सा। [फा.शाल]
16.एक प्रकार की ऊनी या रेशमी चादर।
  • उदा.--1..एक साल लौ आप, आठ दस अवर लिरावौ। भळै लिरावौ बीस, तीस चाळीस ढळावौ।--रमण प्रकास
  • उदा.--2..पाग सुरंगी पीव री, साल प्रिया सुरंग। केसर भीनां कुमकुमै, पसवां भर्‌यौ पिलंग।--अज्ञात
17.देखो 'स्रगाळ' (रू.भे.)
  • उदा.--किहां सायर किहां छिल्लरूं, किहां केसरि किहां साल। किहां कायर किहां वर सुहड, किहां वण किहां सुरसाल।--हीराणंद सूरि
18.देखो 'साली' (रू.भे.) (डिं.को.)
  • उदा.--1..पसवाड़ै साल रा खेत छै।--पंचदंडी री वारता
  • उदा.--2..महिपत मुंहतौ तेड़ियौ औडां नूँ अन देह। औरां ज्वारी बाजरौ, जसमल साल सू प्रेह।--जसमा ओडणी री बात
  • उदा.--3..गेहूँ बाजर मोठ मूँग, तुंवर मटर चिणेह। साल नीपजै सांवठी, ओरूं मसूर अछेह।--गजउद्धार
19.देखो 'साळ' (रू.भे.)
  • उदा.--1..पएसी राजा हिवै, मोटी साल कराय। असनादिक निपजाय नै, दुरबल दांन दिराय।--जयवांणी
  • उदा.--2..माहण स्रमण साक्यादिकै, मांडी मोटी साल। असनादिक निपजाय नै, दांन देऊं द्रग चाल।--जयवांणी
20.देखो 'स्याल' (रू.भे.)
[सं.शल्य]


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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