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सास  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.श्वास
1.प्राणियों द्वारा नाक या मुंह से अन्दर ली व बाहर निकाली जाने वाली प्राणवायु, श्रास, दम।
  • उदा.--1..सज्जाण चाल्या हे सखी, सूनां करै अवास। गळै न पांणी ऊतरइ, हियै न मावइ सास।--ढो.मा.
  • उदा.--2..उरं ओद्रकै सास अभ्यास आंणै, वडा जूह पूंतारिआ पीलवांणै। गंडां मारि बेसारिया नीठ गज्जां, रूआमाल फेरै करै झाड़ि रज्जा।--र.वचनिका
  • मुहावरा--1.सास अड़णौ, सास अटकणौ=मरते समय सांस रुकना, अटकना.
  • मुहावरा--2.सास अळूझणौ=जी घबराना.
  • मुहावरा--3.सास आणौ=किसी भय, संकट या मुसीबत से छुटकारा मिलना, जिन्दा होना.
  • मुहावरा--4.सास उडणौ=शरीर में से प्राण निकलना, मरना.
  • मुहावरा--5.सास ऊंचौ चढणौ= देखो 'सास चढणौ'.
  • मुहावरा--6.सास ऊठणौ=दम चढ़ना, दम का रोग होना, दम का दौरा पड़ना.
  • मुहावरा--7.सास खांचणौ=सांस ऊपर चढ़ाना, सांस खींचना, मृतप्राय होना.
  • मुहावरा--8.सास खाणौ=अधिक परिश्रम करने के बाद विश्राम करना, सास लेना.
  • मुहावरा--9.सास खूटणौ=मृत्यु को प्राप्त होना, मरना.
  • मुहावरा--10.सास गळा मैं आणौ= संकट में फंसना.
  • मुहावरा--11.सास घिरणौ=अचेतावस्था के बाद सांस का पुनरागमन होना.
  • मुहावरा--12.सास घुटणौ= हवा की कमी या दुर्गन्ध के कारण सांस लेने में कठिनाई होना, घबराना.
  • मुहावरा--13.सास चढणौ=अधिक परिश्रम के कारण सांस की गति तेज होना, हांफना.
  • मुहावरा--14.सास चाढणौ=देखो 'सास खांचणौ'.
  • मुहावरा--15.सास छूटणौ=मरना.
  • मुहावरा--17.सास टूटणौ=प्राण निकलना, सांस बन्द हो जाना, सांस लेने की क्रिया का कुछ समय के लिए रुकना, रोगी आदि का रुक-रुक कर सांस लेना.
  • मुहावरा--18.सास निकळणौ=मृत्यु को प्राप्त होना, प्राण निकल जाना.
  • मुहावरा--19.सास बावड़णौ=देखो 'सास घिरणौ'.
  • मुहावरा--20.सास भरीजणौ=अधिक परिश्रम के कारण थकना, हांफना.
  • मुहावरा--21.सास मारणौ=देखो 'सास खाणौ'.
  • मुहावरा--22.सास मैं सास आणौ=चिन्ता, भय, घबराहट आदि से मुक्त होना.
  • मुहावरा--23.सास रुकणौ=मृत्यु को प्राप्त होना या मृत्यु के करीब होना.
  • मुहावरा--24.सास रोकणौ=प्राणायाम के समय अथवा यों ही वायु को अन्दर खींचकर उसे कुछ समय के लिये रोके रखना.
  • मुहावरा--25.सास सूखणौ=अधिक भय, संकट आदि के कारण घबरा जाना।
2.प्राण, जीव।
  • उदा.--1..होसी जग मैं हास द्रोपद नागी देखतां। साड़ी पैली सास, सटकै लेलै सांवरा।--रांमनाथ कवियौ
  • उदा.--2..सांमी स्रब तूं स्रब तूं स्रब सासं, अखिल भूत तूं अेक तूं अविणासं। गरुड ऊपरा चढै बैकुंठ ग्रांमी, निमस्कार तोनूं निमौ सहसनांमी।--पी.ग्रं.
3.देखो 'सासू' (रू.भे.)
  • उदा.--1..गोरी ए सुसरौ जी बैठेला म्हांरी छांय सास सपूती कातै कातणौ।--लो.गी.
  • उदा.--2..रथ ऊतर ऊभा राय अंगण, हरि ग्रहियइ हरि रइ ताइ हाथ। साळाहेली अनइ सासवां, निरखइ नयण अनाथांनाथ।--महादेव पारवती री वेलि
रू.भे.
सांस, सांसु, स़ा, स्वास।
क्रि.प्र.--आणौ, जाणौ, लेणौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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