सं.पु.
फा.शाह
1.बादशाह, सम्राट। (डिं.को.)
- उदा.--1..मालपुर टूंक अजमेर धर मालसी, दिली लग पौंहचसी हलां दहलां। एमदाबाद सूं खजांना आवसी साह उर मानसी रमण सहलां।--विजयकरण सांदू
- उदा.--2..आलमसा उत्तर धरा, भिसत गयौ निज भोम। सारै जाया साह रा, जुध आया जम जोभ।--रा.रू.
2.सेठ, साहुकार। (डिं.को.)
- उदा.--1..जिका आवड़ा देस जेसांण जिल्लै, करन्नी तिका द्रंग देसांण किल्लै। मयंदी वणै कांन' रै थाप मारी, तरी साह तोफांन रै माह तारी।--मे.म.
- उदा.--2..कहा फागण की बूंद, चुगल सूं किसी भलाई। किसौ चोर सूं संग, साह सूं किसी ठगाई।--सुरजनदास पूनियौ
3.राजा, नृप।
- उदा.--पड़ै जांगियां अखंमी रौळ विखंमी नीहाव पड़ै, रैण धौम लागी बौम रूकै पंख राह। तेड़ै रथ गिरमां रा रंभा रा लड़ंग तूटै, साहां बेहूं सीस जूटै बळाबंध साह।--सत्रसाल हाडा रौ गीत
4.शाहजादा।
- उदा.--1..पाड़ै धजां चम्मरां सु पख्खरां थंडमां पाड़ै, नरां गिरां पाड़ै करां ऊधड़ां निराट। पाड़ै थूळ बंगाळां अड़ाळां दळां झूल पाड़ै, साहां बेहूं सीस पाड़ै भीड़ पाड़ै भीड़ फाड़ै बाट।--सत्रसाल हाडा रौ गीत
- उदा.--2..गमागम आतस गडड साह दौय गाजिया, टळण रिणतूर लै केहीक टाळौ। 'कमौ' दै रीठ काळौ सत्रां कोपियौ, 'कमां' माथै पड़ै रीठ काळौ।--कमां पड़ियार रौ गीत
5.मुसलमान फकीर की एक उपाधि।
6.धनी व प्रतिष्ठित व्यक्ति। (फा.स्याह)
7.काले रंग का घोड़ा।
- उदा.--लाखौरी सुरंग अजूब लैत, किसमसी साह ज्यांनूं कुमैत। तेलिया मुहा सदळी तुरंग, सोसनी, सबज हंसा सुरंग।--सू.प्र.
8.बादशाह राजा आदि द्वारा बनियों को दी जाने वाली उपाधि। वि.--
रू.भे.
सह, सा', साय, साहि, साहु, साहू।