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सिंगल
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
अं.
1.रेल की पटरी के किनारे ऊंचे खम्भे पर लगी लोह की वह पट्टी जो रेल के आने व जाने की सूचना देती है।
उदा.--
परघर पग नहीं मेलणौ, बिनां मांन मनवार। इंजन आवत देख कर,
सिंगल
रौ सतकार।--अज्ञात
2.देखो 'सिंहल' (रू.भे.)
उदा.--
मलय सिंगल कोसल नइ अंघ्य, स्रीपरवत द्राविड नइ वध्य। वैरोट तापी लाजी धार, स्रीवैदरभ पाटल अतिसार।--नळदवदंती रास
रू.भे.
सींघल।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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