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सिंदूर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.सौभाग्यवती स्त्रियों के मांग में भरने का एक लाल रंग का चूर्ण जो ईंगुर को पीस कर तैयार किया जाता है। (डिं.को.) वि.वि.--हनुमान, गणेश आदि देवताओं की मूर्तियों पर यह घी या तेल मिला कर चढ़ाया जाता है।
  • उदा.--1..दाढी रंग उज्जळ भाळ सिंदूर, प्यालां मतवाळ नसौ भरपूर।--मे.म.
  • उदा.--2..जिकां काट मांजिया, छांट उजळ जळ छोळां। रचि सिंदूर चितरांम, चरचि आंनन रंग चोळां।--मे.म.
2.देखो 'सिंधुर' (रू.भे.) (नां.डिं.को.)
रू.भे.
संदूर, सींदूर, स्यंदूर।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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