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सिंधु  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.सिंधु:
1.समुद्र, सागर।
  • उदा.--सम माई क्रिया सब थाकी, ज्युं सलीता सिंधु समाई। पांच पचीस लीन कर सब ही, साक्षी स्वरूप रहाई।--सुखरांमजी महाराज
2.सिंधुनन्द जो पंजाब के पश्चिम से होता हुआ सिंध देश के समुद्र में मिलता है।
3.उक्त नद के आसपास का प्रदेश।
4.हाथी के सूंड से निकला हुआ पानी।
6.हाथी का मद।
7.हाथी।
8.ऊंट।
  • उदा.--मजबूत थूंम डाचा मगर, जियां पूंछ करवत जिसा। झोखियां सिंधु नुखतां झटकि, अंध कंध राकस इसा।--सू.प्र.
9.वरुण देवता।
10.गंधर्वों के राजा का नाम।
11.पुराण प्रसिद्ध एक देश, जिसका राजा जयद्रथ था।
12.एक सम्पूर्ण जाति का वीररस पूर्ण राग। (संगीत) (डिं.को.)
  • उदा.--भाभी जांगिड़ आपणौ, छिपै न लाखां गांन। सूनै घर सिंधु थयौ, आंपां रा मिजमांन।--वी.स.
13.बिल्कुल श्वेत, सुहागा। सं.स्त्री.--
14.बड़ी नदी, नद।
15.नदी, सरिता। (अ.मा., ह.नां.मा.)
  • उदा.--चित प्रथम चेत, उल्लू अचेत। यह तन अग्यांन, न स्थिर निदांन। बचि है न वीर, तरु सिंधु तीर। इक दिवस यार, है गिरन हार।--ऊ.का.
16.सात की संख्या।* (डिं.को.) वि.--सुन्दर। (ह.नां.मा.)
रू.भे.
संध, संधव, संधवी, संधु, सिंध, सींधु, सींधू, स्यंध। अल्पा;--सिंधुड़क, सिंधुड़ौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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