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सिणगारणौ, सिणगारबौ  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
क्रि.स.
सं.श्रृंगारणम्‌
1.सुशोभित करना, सजाना।
  • उदा.--1..आगै सहर रा घर वाट, बजार-हाट भली प्रकार सिणगारिया। गुवाड़-गुवाड़ घर-घर ऊपर लुगायां रा बधावा मांगळीक गावै छै।--पलक दरियाव री बात
  • उदा.--2..खाडैत्यां खोलिया, खिड़क खासा रथ खानां। सिणगासर्‌या सिंदणां, मिळण सांमां मिजमानां।--मे.म.
  • उदा.--3..कनक रतन तोरण सुभकारी, सुंदर चित्र पौळि सिणगारी।--रा.रू.
2.अस्त्र-शस्त्र युक्त करना, शस्त्रों से सुसज्जित करना।
  • उदा.--1..तरै लालांजी नूं बांह दीन्ही। देनै पछै घणौ साथ लेनै फौज सिणगारी नै रजपूत सिणगारी नै केसर गुलाब सूंधा मांहै गरकाब हुय नै जांन करै नै चढिया।--लाली मेवाड़ी री बात
  • उदा.--2..सिणगारी सन्नाह सूं, विस कांमणी वरियांम। वरि आई हाला वरण, करण महाजुध कांम।--हा.झा.
3.श्रृंगार कररना, श्रृंगारना।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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