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सिरा  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.शिर
1.रक्त वाहिनी नाड़ी, खून की छोटी नली, धमनी, रग। (डिं.को.)
  • उदा.--घटि घटि घण घाउ घाइ घाइ रत घण, ऊंच छिछ ऊछळै अति। पिड़ि नीपनौ कि खेत्र प्रवाळी, सिरा हंस नीसरै सति।--वेलि.
2.नलिका, नाली।
विशेष विवरण:-प्राणी के शरीर में रक्त शिराऐं जाल के समान गुंथी हुई होती है। मानव शरीर में आठ रक्त शिराऐं प्रमुख मानी जाती है जिन्हें आठों दिशाओं के स्वामियों के नाम से जाना जाता है यथा--आग्नेयी, ऐन्द्री, महाशिरा इत्यादि।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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