वि.स्त्री.
सं.सुन्दरी
1.सुंदर, रूपवती।
2.प्यारी, प्रियतमा, वल्लभा।
- उदा.--सेझां आवौ सुंदरी, ज्यौं सोभा दै सेझ। तौ विन सेझ बिरंगिया, कही न लागै जेह।--कुंवरसी सांखला री वारता
1.सुन्दर एवं खूबसूरत स्त्री।
- उदा.--1..गुणदांणा इसा अमोलक गाढा, मोती ताइ आंवळा प्रमांण। सुंदरि हार तिसउ उर सोहइ, बीजी गंग प्रगळट की बांण।--महादेव पारवती री वेलि
- उदा.--2..दिन रात सम तुल रासि दिनकर, सरकि अनुक्रमि सरवरी। स्रिय जीत तनि गुण परखि चखि, सुख सकस पखि जिम सुंदरी।--रा.रू.
- उदा.--3..भाखा संस्कृत प्राक्रत भणंतां, मूझ भारंती ए मरम। रस दायिनी सुंदरी रमतां, सेज अंतरिख भूमि सम।--वेलि.
- उदा.--4..सुंदरि चोरै संग्रही, सब लीनां सिणगार। नकफूली लीधी नहीं, कहि सखि कवण विचार।--ढो.मा.
2.स्त्री., पत्नी। (अ.मा., ह.नां.मा.)
- उदा.--1..सुणि सुंदरि, सच्चउ चवां, भाजइ मनची भ्रांति। मौ मारू मिळिबा तणी, खरी विलग्गी खंति।--ढो.मा.
- उदा.--2..माया पास रही मुळकंती, सजि सुंदरी कीधां सिणगार। बहु परिवार कुटुंब चौ बाधौ, हरि विण गयौ जमारौ हार।--प्रथ्वीराज राठौड़
3.देवी, दुर्गा, पार्वती।
- उदा.--भवांनी नमौ स्वच्छ स्रंगार अंगा, भवांनी नमौ सुंदरी सिभु संगा। भवांनी नमौ कासरिद्रारि हंता, भवांनी नमौ आसि आभा अनंता।--मे.म.
4.रुक्मिणी।
- उदा.--आकरसण वसीकरण उनमादक परठि द्रविण सोखण सर पंच। चितवणि हसणि लसणि गति संकुचणि, सुंदरी द्वारि देहरा सच।--वेलि.
7.नर्मदा नामक गंधर्वी की कन्या एवं माल्यवान राक्षस की पत्नी का नाम।
9.नाव आदि बनाने के काम आने वाली लकड़ी का वृक्ष।
10.एक प्रकार का वाद्य विशेष।
11.एक प्रकार का वर्णिक वृत्त विशेष जिसमें प्रत्येक चरण में प्रथम एक नगण ुरि दो भगण व अन्त में एक रगण इस प्रकार कुल बारह वर्ण होते हैं।
- उदा.--नानण बि भगण रगण निरवांणि, पाई सुंदरी छंद पिछांण। वरण दु आद स घाटिन बाधि, अनंत अजोध्या नाम अराधि।--पिं.प्र.
12.एक प्रकार का वर्णिक वृत्त विशेष जिसमें प्रत्येक चरण में प्रथम दो सगण फिर भगण फिर सगण और अन्त में एक तगण, दो जगण व एक लघु एवं एक-एक गुरु, कुल 23 वर्ण होते हैं।
- उदा.--छाजै बि सगण भगण चरण बिगता छाता, सगण तगण दुइ जगण लुघू गुर सौभाता। सहि त्रिह अगाल वीस वरण सब लांमणा, ुसुंदरि आ गुण जांणि सुचंग सुहांमणा।--पिं.प्र.
रू.भे.
सुंदर, सूंदरि, सूंदी।