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सुक     (स्त्रीलिंग--सुकी)  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.शुक:
1.तोता, कीर, सुग्गा। (अ.मा., डिं.को.)
  • उदा.--1..वणै कोकिला मोर चाकोर वांणी, सुकं सारिकायं सुवायें सुहांणी। सुखै वैण कारंडवं कोक सद्दै, वळै जीह सूं प्रीय बाबीय वदै।--रा.रू.
  • उदा.--2..नासिका सुक चंच सरिखी, मुगतफळ संजोति। अहिर विद्रम ओपमा, जेहा डसण हीरा जोति।--रुकमणी मंगळ
2.रावण का एक अमात्य जो अपने सारण नामक मित्र के साथ उसके गुप्तचर का काम भी निभाता था।
3.सोच, फिक्र। (डिं.को.)
4.कई सुगन्धित पदार्थों का मिश्रण।
5.फलित ज्योतिष के 28 योगों में से एक योग। (ज्योतिष बालबोध)
रू.भे.
सुक्क, सुग्ग, स्रुक।
6.देखो 'सक्र' (रू.भे.)
  • उदा.--वडपुरी सुकं कवि लघु अकल वांणि।--रांमरासौ
7.देखो 'सुकदेव'(रू.भे.)
  • उदा.--1..कहि सिक सनकाद धू प्रहलाद, अहयत आद जेण जपै। सुक नारद व्यास जळ कहि जास, फिर कर तासं दास थपै।--र.ज.प्र.
  • उदा.--2..दधि वीणि लियौ जाई वणतौ दीणौ, साखियात गुण मैं ससत। नासा अग्रि मुताहळ विदिसति, भजति कि सुक मुख भागवत।--वेलि.
8.देखो 'सुक्र' (रू.भे.)
9.देखो 'सुख' (रू.भे.)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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