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सुकन  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.सु+कर्ण
जिसके कान सुन्दर हो। सं.पु.--
1.अच्छे कान।
2.देखो 'सुगन' (रू.भे.)
  • उदा.--1..सूर न पूछै टीपणौ, सुकन न देखै सूर। मरणा नूं मंगळ गिणै, समर चढै मुख नूर।--बां.दा.
  • उदा.--2..राजि उठा हुंती भलै मुहूरत खड़िया छै, पातिसाहजी सूं घणौ सुख हुयौ छै, भला सुकन हुया छै, राजि न पधारै। ताहरां मुंहतै रै पालियै राजि पगै लागण न पधारिया।--द.वि.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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