वि.
सं.सु+कर्ण
जिसके कान सुन्दर हो। सं.पु.--
2.देखो 'सुगन' (रू.भे.)
- उदा.--1..सूर न पूछै टीपणौ, सुकन न देखै सूर। मरणा नूं मंगळ गिणै, समर चढै मुख नूर।--बां.दा.
- उदा.--2..राजि उठा हुंती भलै मुहूरत खड़िया छै, पातिसाहजी सूं घणौ सुख हुयौ छै, भला सुकन हुया छै, राजि न पधारै। ताहरां मुंहतै रै पालियै राजि पगै लागण न पधारिया।--द.वि.