सं.पु.
सं.सुत:
1.पुत्र, बेटा, वत्स। (डिं.को.)
- उदा.--1..बोल नवाब सरस द्रढ बंधै, सुत पितु हूंत महा छळ संधै।--रा.रू.
- उदा.--2..जै माता सुत जनमीयौ, विनां भगति वसवास। हरिया जिन अर क्या कीयौ, भारि मुंई दस मास।--अनुभववांणी
2.जन्म-कुण्डली में लग्न से पाँचवां घर। (ज्योतिष)
4.देखो 'स्रुत' (रू.भे.)
- उदा.--1..भागीरथ संभ्रम सुत भुवाळ, नाभंग हुवौ स्रुत सुत न्रपाळ।--सू.प्र.
- उदा.--2..जननी तूझ हस्त मस्तक जिंह, त्रिदसालय सुख बसत निलय तिहं। अस्ट सिद्धि नव निद्धि अखंडित, परम सती जुवती सुत्त पंडित।--मे.म.