सं.स्त्री.
सं.
1.अमृत। (अ.मा.)
- उदा.--1..हुवै मुवां बिन मुकत नहं, भै बिन हुवै न प्रीति। सुधा पियां बिन अमरपद, व्है न दिया बिन क्रीति।--बां.दा.
- उदा.--2..आज फल्यौ सुर कौ तरु अंगण, आज चिंतामणि सौ कर आयौ। कांम कौ कुंभ धर्यौ निज धांम, सुधा मनुं पांन कराइ धपायौ।--ध.व.ग्रं.
- उदा.--3..सब ही म्रत्तक देखियै, किहिं विधि जीवैं जीव। साधु सुधा रस आंन कर, दादू वरसै पीव।--दादूबांणी
- उदा.--4..नायक रमा नयण कज नरवर, सुखदायक निज जन सयण। भगत विछळ मन महण सुभायक, निमौ सुधा स्रायक नयण।--र.ज.प्र.
2.पुष्पों का रस, पुष्पों का शहद।
3.मदिरा, शराब।
- उदा.--तरै जलाल जागीर मैं आदमी भेज्या। भला सिपाही साखदार खांप खांप रा राखिया। हमेसां सुधा मैं गरकाब रहै।--जलाल बूबना री बात
13.ज़हर। वि.--श्वेत, सफ़ेद।* (डिं.को.) क्रि.वि.--
2.सहित।
- उदा.--1..संवारै दिन पोहर चढतां आप रै घरै पाटण माहै मूळराज सीहाजी नुं सारै साथ सुधा मोहौला मैं लै गया।--नैणसी
- उदा.--2..पाठै कन्है आया हंता, तिकै दरवाजै आय ठहकीया। अठै ईहां उपर सिरदार भाखरसी सुधा तरवार री डीक दीनी।--राजा नरसिंघ री वात