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सुराग  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.सु+राग
1.अतयन्त गाढ़ा प्रेम।
  • उदा.--यौं घ्रिताची यौ प्रयाग सुराग रचाया।--वं.भा.
2.किसी गुप्त बात, रहस्य या किसी की वास्तविकाता को जानने का सूत्र, इशारा, संकेत।
  • उदा.--उण गवाड़ी रौ भेद जांणण सारू मांय रा मांय घणाई तड़फा तोड़ता पण भेद रौ सुराग लगावण सारू डरता घणा।--फुलवाड़ी
3.पांव का चिन्ह, खोज, निशान।
4.पता, खबर, ठिकाना।
5.तलाश, अनुसंधान।
6.जिज्ञासा।
7.देखो 'सूराख' (रू.भे.)
(तु+सुराग)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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