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सुसरि
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.सु+सरित्
1.सुन्दर हार, सुन्दर लड़ी या माला।
उदा.--
कळ मोतियां
सुसरि
हरि कीरति। कंठसरी सरसती किरि।--वेलि.
2.गंगा नदी।
3.तालाब, सर। क्रि.वि.--
1.मधुर एवं मीठे स्वर में।
उदा.--
1..बाजै
सुसरि
राजगढ बाजा। रांणी गौड़ परणियौ राजा।--रा.रू.
उदा.--
2..आणंद मोर
सुसरि
आवाजै। वीणा वंस मधुर सुर वाजै।--आसौ बारहठ
2.देखो 'सुसिर' (रू.भे.)
3.देखो 'ससुर' (रू.भे.)
(सं.सुरसरी)
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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