सं.पु.
सं.सौभाग्य
1.स्त्री.के सधवा रहने की अवस्था, वह समय जब स्त्री का पति जीवित हो, सौभाग्य।
- उदा.--1..सुहा ताइ विसन ब्रह्म ताइ सुहा, इंद्र सुहा आसीस दीयइ। न कहइ सुहा घणूं नांन्हडियउ, कवळ मजीठउ राव कीयउ।--महादेव पारवती री वेलि
- उदा.--2..कहै वेलि वर लहै कुमारी, परणी पूत सुहाग पति।--वेलि.
- उदा.--3..कुलीन नारि केकयं, आणंद मैं अनेकयं। सुहाग भाग सूं भरी, अनेक राग उच्चरी।--सू.प्र.
2.स्त्री के शरीर पर का ऐसा पहरावा जो उसके पति के जीवित होने का प्रतीक हो, सौभाग्य चिन्ह।
- उदा.--1..अबै सुहाग रै इण ओछौ बांहां रै कंचुवै (कांचळी) सूं मोनैं बराबरी री स्त्रियां मैं हाथ देखावती नै लाज आवै छै।--वीर सतसई की टीका
3.पति की आयु।
- उदा.--1..रानी कौ राज तपतौ जाय, म्हांकौ सुहाग बधतौ जाय।--लो.गी.
- उदा.--2..म्हनै पूरौ भरोसौ है बीरा थांरै बाहुबळ रौ अर इण भरोसा रै पांण इज तौ थां सूं सुहाग री भीख मांगती अमरचूनड़ी री ओडांमणी चावूं।--अमरचूंनड़ी
4.पति का संसर्ग, सौभाग्य-सुख, पति का प्रेम।
- उदा.--पण अणी सौ ठाकुर मया करै सौ या सुहागण। दुजी तीनौं सौ मया थोड़ी। जदी बेटां री माउवा विचार कीधौ सौ ईणी नै ठाकुर सुहाग दीधौ।--गांम रा धणी री बात
5.विवाह के अवसर पर गाये जाने वाले मांगलिक गीत।
रू.भे.
सवाग, सवाग, सुआग, सुभाग, सुवाग, सुहागि।