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सेल  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.शलः, प्रा.सेल
1.भाला, बरछा, बरछो, साग। (ना.डिं.को.)
  • उदा.--1..सेल घमोड़ा किम सह्या, किम सहिया गज दंत। कठिण पयोहर लागतां, कसमसतौ तू कत।--हा.झा.
  • उदा.--2..रण त्रांमागळ रोड़ि, जोड़ि अछरां गठजोड़ां। सेल घमोड़ां सार, मार मुगळां दळ मोड़ां।--मे.म.
  • उदा.--3..मच धांम धूम सर सेल मार। पड़ त्रास आस आठूं पुकार। दिन लाख घटै हैंवर दरक्क, जवनां न पदै निस दिवस जक्क।--रा.रू.
2.तोप का वह गोला जिसमें गोलियां आदि भरी रहती हैं।
3.वज्र।
4.छिद्र, सूराख, बिल।
5.दर्द, टीस, पीड़ा।
6.देखो 'सैर' (रू.भे.)
  • उदा.--गंगेव खीची काग भड़ां किंवाड़ वैरियां जडां ऊपाड़, जिण की सेल कहूं वणाय, सुणियां मन प्रसन थाय।--रा.सा.सं.
7.देखो 'सैर' (1) (रू.भे.)
रू.भे.
सेल्ह, सैल।
अल्पा.
सेलड़ौ।
[अ.शेल]


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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