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सैंधव  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.सैधवः
1.सिंधु देश का एक घोड़ा विशेष, अश्व। (डिं.नां.मा.)
2.घोड़ा, अश्व।
  • उदा.--1..स्रीफळ रतन जड़ित सुखदाई। सैंधव दस दोय गयंद सवाई।--रा.रू.
  • उदा.--2..ऐ जौ अकबर काह, सैंधव कुंजर सांवठा। बांसै तौ बहताह, पंजर थया प्रतापसी।--दुरसौ आढ़ौ
2.सेंधा नमक।
  • उदा.--1..दादू सैंधव कै आपा नहीं, नीर क्षीर परसंग। आपा फटक पखांण कै, मिळै न जळ कै संग।--दादूबांणी
  • उदा.--2..सेंचल सैंधव जांण, आगर रौ परमांण। समुद्र-खार जांणियौ ऐ, कालौ लूण आंणियौ ऐ।--जयवांणी
3.सिंधु देश।
4.उक्त देश का निवासी।
5.उक्त देश का राजा, जयद्रथ।
6.सिंधु राग विशेष, वीररस पूर्ण राग।
  • उदा.--तुटै कइ सीस कटै तन त्रांन, उठै कइ सूर जुटै कइ आंन। लुटै कइ भोम छुटै सर लाग, रटै कइ जोगड़ सैंधव राग।--पे.रू.
1.सिंधु देश का, सिंधु देश सम्बन्धी।
2.समुद्र सम्बन्धी, सामुद्रिक।
3.सिंधु नदी सम्बन्धी।
रू.भे.
सिंधव, सेंधव, सेंधवौ, सैंधू, सैंधौ, सैंधव।
वि.[सं.सैंधव]


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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