8.शुक्रवार। (एका.) सं.स्त्री.--
4.सब, समस्त।
- उदा.--अबै तौ सो कांम उलटौ हुयग्यौ। थांनै महीणैमासरी छुट्टी लैणी पड़सी। आज पूरौ महीणौ आडौ रै'यौ है।--दसदोख
5.समान, तुल्य।
- उदा.--1..एक दिन रै समैजोग रावत प्रतापसिंघ कनै एक पंडित पुरांणीक आयौ जिकण बडा बडा ग्रंथां रौ समुद्र कौ सो पार दरसायौ।--प्रतापसिंघ म्होकमसिंघ री वात
- उदा.--2..'सबळौ' माधवदास समोभ्रम। आहव कर मझ सो जम आतम।--रा.रू.
1.तक, पर्यन्त।
- उदा.--उदै-अद्रजौ बारमौ भांण ऊगै, पबै अस्त सो पूगियां नीठ पूगै।--मे.म.
2.ऐसा, इस प्रकार से।
- उदा.--1..जै जै मरणी जुग मरै, सो मरणौ आसांन। हरीया विन मरणी मरै, सो तौ कठण जांन।--अनुभववांणी
- उदा.--2..सो सुनत ही कुतबुद्दीन अटक नदी कों उल्लंघि उतकी आरय अवनी कौ अपनै ही अधीन करत आयौ सो मुनि रत्नसिंह सवितालौं सम्मुह जाइ बिग्रह बिरचन बिचार्यौ।--वं.भा.
3.अतः, इसलिए।
- उदा.--1..जेज व्हियां नाकाबंदी होवण रौ भौ हौ सो भीमड़ौ विजळी रै पळाका रै ज्यू किला रै मांय नै वळियौ।--अमरचूंनड़ी
- उदा.--2..जद हाट रौ धणी बौल्यौ--अबारूं तौ स्वांमी जी उतर्या है सो आखी पेडी रुपियां सूं जड़ देवौ तौ ही न द्यूं।--भि.द्र.
1.वह, वे।
- उदा.--1..करहा नीरूं सोइ चर, वाट चलंतउ पूर। द्राख विजउरा नीरती, सो धण रही स दूर।--ढो.मा.
- उदा.--2..धनौ धन्य सो लोक जौ नोक धोकै। वळै गोर हूं और बातां विलो कै।--मे.म.
- उदा.--3..स्यांम धरम्मी कांम द्रढ, खीची 'सिवौ' 'मुकन्न'। सो रहिया साजा पणै, राजा तणै जतन्न।--रा.रू.
2.वही।
- उदा.--1..पीछै वाघैजी कवर स्रींवीकैजी नूं कयौ, ''हूं तौ आपरी मदत मैं हूं सूं आप कहौ सो तरतोज करूं जिण सूं आपरै फायदौ हुवै।''--द.दा.
- उदा.--2..अधुरां डसणां सूं उदै, विमळ हास दुतिवंत। सो संध्या सूं चंद्रिका, फैली जांण फबंत।--बां.दा.
3.उस, उसके।
- उदा.--छकीयौ घूंमै घाव कौ, सो घट घायल पीर। हरीया घूंमै घाव विन, भीतर मार सरीर।--अनुभववांणी
4.उन।
- उदा.--साल्ह चलंतइ परठिया, आंगण वीखड़ियांह। सो मइं हियइ लगाड़ियां, भरि भरि मूठड़ियांह।--ढो.मा.
अव्यय
किसी अनिश्चित मात्रा, माप और मान पर जोर देने के लिये प्रयोग किया जाने वाला प्रत्यय, शब्द। ज्यूं--बटाऊ बोल्यौ बाबाजी थोड़ौ सो दूध घाल दौ तौ न्याल कर दौ चाय बिनां नाड़ां तूटै।--फुलवाड़ी क्रि.वि.--