सं.पु.
सं.स्त्तनः
1.किसी स्त्री के उरोज, चूंची।
- उदा.--एजु रुखमणीजी कै कठिन स्तन छै सु करि कहतां हस्ती तिण का कपोल करि वरणया छै। नवी वेस का कवि कहै छै। वांणी करि रूड़ा वखांणी। स्तनां उपरि स्यांमता सोभै छै। सु जांणै जोवन का दांण दिखाळिया छै।--वेलि.टी.
2.मादा पशु या जानवरों के थन।