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स्तन  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.स्त्तनः
1.किसी स्त्री के उरोज, चूंची।
  • उदा.--एजु रुखमणीजी कै कठिन स्तन छै सु करि कहतां हस्ती तिण का कपोल करि वरणया छै। नवी वेस का कवि कहै छै। वांणी करि रूड़ा वखांणी। स्तनां उपरि स्यांमता सोभै छै। सु जांणै जोवन का दांण दिखाळिया छै।--वेलि.टी.
2.मादा पशु या जानवरों के थन।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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