सं.पु.
सं.स्वागतं
1.अगुवानी, अभिनंदन।
- उदा.--जाळ खेजड़ा झाड़खा, झट खनै बुळा स्रागत करै। मरु दातार देव वना विच, छांय सुला विपता हरै।--दसदेव
2.उक्त अवसर पर पूछा जाने वाला कुशल-मंगल।
3.किसी के आने के बाद उसकी की जाने वाली आवभगत, खातिरी।
- उदा.--ती नूं देखतां ही लुगाई ऊठी, गरम जळ सूं हाथ पग धुलाया, आगत स्वागत करण लागी।--जैसौ खाय तैसी बुद्धि री वात
4.किसी के विचारों आदि को मान्य करने की क्रिया या भावना।
5.शकुनि राजा का पुत्र, एक राजा।
रू.भे.
सवागत, सुआगत, सुवागत।