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स्वागत  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.स्वागतं
1.अगुवानी, अभिनंदन।
  • उदा.--जाळ खेजड़ा झाड़खा, झट खनै बुळा स्रागत करै। मरु दातार देव वना विच, छांय सुला विपता हरै।--दसदेव
2.उक्त अवसर पर पूछा जाने वाला कुशल-मंगल।
3.किसी के आने के बाद उसकी की जाने वाली आवभगत, खातिरी।
  • उदा.--ती नूं देखतां ही लुगाई ऊठी, गरम जळ सूं हाथ पग धुलाया, आगत स्वागत करण लागी।--जैसौ खाय तैसी बुद्धि री वात
4.किसी के विचारों आदि को मान्य करने की क्रिया या भावना।
5.शकुनि राजा का पुत्र, एक राजा।
रू.भे.
सवागत, सुआगत, सुवागत।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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