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हक  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
अ.हक
1.स्वत्व, अधिकार, दावा।
  • उदा.--1..भटियांणी कहयौ--म्हैं क्यूं भूंडौ मांनूं। जायोड़ौ भलाई व्हौ म्हारै बचै इण माथै थारौ हक वत्ती है, म्हैं इण बात नै भूलणा बिचै मरणौ आछौ समझूं।--फुलवाड़ी
  • उदा.--2..लेणौ--देणौ कींकर नीं है बोफा! राजा इण धरती रौ धणी है, इण मुलक रौ मालिक है। इण धरती माथै जिकी चीज निपजै उण माथै उणरौ हक है।--अमरचूंनड़ी
2.न्याय, प्रथा आदि से प्राप्त अधिकार।
  • उदा.--2..औ कैड़ौ राज? किणरौ राज? आं राज करणियां नै कुण औ हक सूंप्यौ जकौ वै चंवर्‌यां बैठी किणी लुगाई नै झप--टलै।--फुलवाड़ी
  • उदा.--2..किणी री मंसा परवारौ दुख देवण रौ औ हक जे राजा नै भगवान ई सूंप्यौ तौ अेडा भगवांन री पूजा ई किताक दिन तक व्हैला।--फुलवाड़ी
3.किसी कार्य को करने का अधिकार।
4.सत्य, यथार्थ।
  • उदा.--हफत--हजारी हफत सझै हक सद जै सायत। आय हफत ईसफां, मिळौ हफतमा सझि हिम्मत।--सू.प्र.
5.ईश्वर, परमात्मा।
  • उदा.--हकां बेली हक है, वेहक। हरीया हेकै हक विन, सब दिन जांहि अन्हक।--अनुभववांणी
6.ठीक कार्य, सीधा कार्य।
  • उदा.--काजी सरै हक है तेरै तौ अनहक जीव क्युं मारै। कुछी एक दीन तणौ डर दुनियां, सिर अपनै सुं टारै।--अनुभववांणी
7.पक्ष, हिस्सा, भाग।
  • उदा.--उण दोनूं घोड़ा आपां रै हक मैं छोड़ दिया। सोनै री गांठड़ी भी दी। इण सगळी बातां रै अलावा वचन दियौ कै आज सूं उण री तरफ सूं वैर--भाव खतम है।--तिरसंकू
8.पारिश्रमिक, मेहनताना।
  • उदा.--मुंई मिटीया मुरदार कहत हैं, हाथै हक हलाळा। काजी घणी'र और धलाली, सब स्वारथ का चाळा।--अनुभववांणी
1.मृत।
  • उदा.--1..पातिसाही करता थका एक दिन मुणा रै पातिसाह हमाअूं चढिया हुता तिहांथी पड़िया अर हक हुआ।--द.वि.
  • उदा.--2..इतरी कहता पांण तौ अमरसिंहजी ऊभा तिकी जगां सूं तमक जाय खांन सूं भेळा हुइ गया। कटारी दीन्ही सौ पेट में हाथ तक गरक हौ गयौ। और कही पाजी मुंह सूं सावळ बोल। यूं कही फेर दूजी दी सौ मियां तौ हक हौ गयौ।--अमरसिंह गजसिंहोत री बात
2.जायज, ठीक, वाजिब।
  • उदा.--1..हिमत हक हिसाब है, रहमांण रवाकी। मोह सराब खराब है, छत उमर छाकी।--केसोदास गाडण
3.युक्ति संगत, युक्ति--युक्त।
4.देखो 'हाक' (रू.भे.)
रू.भे.
हक्क।
वि.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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