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हजूर
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
देखो 'हुजूर' (रू.भे.)
उदा.--
1..आळसवां अज्जाणवां, दिल खोटंतां दूर। साहिब सांचां साधवां, है हाजरां
हजूर
।--ह.र.
उदा.--
2..पीपा कूं प्रभु परच्यौ दीन्हौ, दिया रे खजीना भरपूर। मीरां के प्रभु गिरधरनागर, घणी मिळ्या छै
हजूर
।--मीरां
उदा.--
3..तेरै तौ आसानं सब, मेरे बौहत जरूर। हरीयै कुं आपनी राखौ रांम
हजूर
।--अनुभववांणी
उदा.--
4..दोढीया जाय दरवांन नै खमा है कहवायौ। बारै ढाढी ऊभा छै। कंवरजी कह्यौ
हजूर
आवै।--ढो.मा.
उदा.--
5..जात रौ दरोगौ,
हजूर
रौ धाभाई दादौ। डरती सौ सिंघ लिखै, मरती सौ आपरौ नांव मांडै।--दसदोख
उदा.--
6..अर ओर भी भाई भतीजा बडा बडा रजपूतवट रा सुभाव लीधा थका रावत प्रतापसिंघ री
हजूर
रहै।--प्रतापसिंघ म्होकमसिंघ री वात
उदा.--
7..सो अमरसिंघ रिरसौ बडौ भाई बिगोई बादसाह री
हजूर
रहवै छै।--राजसिंघ री वात
उदा.--
8..तिकी फौज सुं अळगौ निसरै थौ, तरां रजपूतां दीठौ। गौहरी नै पकड़ियौ, तिकौ रावजी रै
हजूर
आण्यौ।--राव रिणमल री बात
उदा.--
9..सु हाथी लिया लियां सहर आया। ताहरां सेतरांमजी राजा री
हजूर
आया।--नैणसी
उदा.--
10..दिस कमधा पैसौर, ज्यास मोकळै दिलासा। आवौ मूझ
हजूर
, सूर साखेत सज्यासा।--रा.रू.
उदा.--
11..ताहरां राजा कह्यौ, मांणस किसड़ो छै?
हजूर
आवण लायक छै क नां? विदा नाहर सीं ही दीजै।--मूळवै सांगावत री बात
उदा.--
12..जनहरि रांम जहां घर पाया, जनम मरण संदेह मिटाया। बिन गुर गंम देखै नर दूरा, ब्रह्म बताया आप
हजूर
।--हरिरांमदास जी महाराज
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
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