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हथाई  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.अस्थाई
1.गाँव के मध्य का वह स्थान या जगह जहाँ गाँव के व्यक्ति फुरसत में बैठकर इधर-उधर की बातें करते हैं, बैठक, चौपाल।
  • उदा.--1..रात रा हथाई में इण बात री ईज चरचा छिड़गी।--फुलवाड़ी
  • उदा.--2..भरी हथाइयां बैठा बाईसा रा बाप, कागदियौ दीधौ वांरै हाथ।--लो.गी.
  • उदा.--3..जसवंतजी चांग गया। आगै मेर मांणस 300 तथा 400 हथाई बैठा था।--राव मालदेव री बात
2.वार्तालाप, बातचीत, गपशप।
  • उदा.--1..रात री हथाई ठाकरां रै जमांनै री जुगती वण रैयी ही।--दसदोख
  • उदा.--2..वगत वटावा हेत, खेत किरसांणां तांई। वन मैं पसवा प्रेम, हमीरां ग्रांम हथाई।--दसदेव
  • उदा.--3..सैल सपाटां नार, नहीं नर होड हथाई। पुर पुरखां री पांत, जुड़ गिणै जांमी भाई।--नारी सईकड़ौ
क्रि.प्र.--करणी, जुड़णी, बैठणी, बैसणी, होणी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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